आध्यात्रिमक जार्गति' के मसीहा : बाबा सावन सिंह जी
>> Wednesday, August 17, 2011
सावन कृपाल रूहानी मिशन के अध्यक्ष संत राजिन्दर सिंह जी महाराज, जो इस समय विश्व यात्रा पर हैं, ने अपने संदेश में कहा कि आज हम सब ब.डे ही भागयशाली हैं कि हमें हजूर बाबा सावन सिंह जी महाराज जैसे पूर्ण संतों के चरण कमलें में बैठने का अवसरप्राप्तहुआ है। वे किसी एक कौम, जाति व वर्ग के लिए नहीं अपितु समस्त मानव.जाति के कल्याण हेतु आए थे। उन्होंने अपने नाम“सावन” को सार्थक करते हुए प्रभु.पेर्म वबखा व दयामेहर हम सभी लेगों पर की। आध्यात्रिमक जार्गति के मसीहा हजुर बाबा सावन सिहं जी महाराज की 61वीं पुणय तिथि के अवसर पर उन्हें अपनी भावभीनी श्राद्धांजलि अपि¸त करने के लिए कृपाल बाग, दिल्लीमें हजारों की संख्या में भाई.बहन एकत्रिरत हुए। इस अवसर पर अनेक वक्ताओं ने हजूर की याद में शबद कीर्तन का गायन किया तथा उनके साथ हुए अपने निजी अुनुभवो को भी बयान किया। पुणय तिथि के अवसर पर हजुर बाबा सावन सिंह जी महाराज के जीवन की महत्तावपूर्ण झलकिंया एक फिल्म के रूप में दिखाई गई, जिसमें उनके द्वारा जन.जन पर की गई प्रभु.पेर्म की बरखा व दयामेहर को प्रदर्शित किया गया। उनकी याद में मिशन के बालत्रसत्संग के बच्चों द्वारा हजूर की शिक्षा व आध्यात्रिमक कार्य पर आधारित एकलघु व सुंदर चित्र प्रदर्शनी भी लगाई गयी। हजुर बाबा सावन सिंह जी महाराज ने जिज्ञासुओं को सिखाया कि हम ध्यान.अभ्यास के द्वारा प्रभु की जयोति व श्रुति (सुरत.शबदयोग) का अनुभव कर सकते हैं। उन्होने मानव जाति के कल्याण हेतु अध्यात्रिमक जार्गति की भविष्यवाणी भी की। उन्होने हमें समझया कि रूहानियत का रास्ता किसी एक खास कौम, जाति, वर्ग व देश के लिए नहीं बलि्क समस्त मानव.जाति के लिए खुल है। अपने जीवनकाल में उन्होने अलग से कोई नया धर्म नहीं बनाया क्योंकि उनके अनुसार आत्रिमक धर्म ही सच्चा धर्म है। उनके पश्चात परम संत कृपाल सिंह जी महाराज ने यह आध्यात्रिमक कार्य जारी रखा और दिल्ली में अपने गुरू के नाम पर सावन आश्राम की स्थापना कर सभी धर्मों के धर्माचार्य को एक ही मंच पर बिठाने का महान कार्य किया तथा संत.मत की तालीम को विभिन्ना धमो के लेगों तक पहुंचाया। इनके उपरांत संत दर्शन सिंह जी महाराज जो कि विश्व विख्यात सूफी.संत शयर भ्ाी रहे हैं, ने सावन कृपाल रूहानी मिशन की स्थापना कर, संपूर्ण विश्व के हजारों लेगों को ध्यान की कल से अवगत कराया और इस महान कार्य को जारी रखा। हजूर ने जो रूहानियत का मार्ग हमें दिखाया है वर्तमान मे ंसंत राजिन्दर सिंह जी महाराजद्वारा हमारा मार्गदर्शन कर रहा है। संत राजिन्दर सिहं जी महाराज अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ध्यान द्वारा अंतरीय व बाह्न शांति हेतु प्रयासरत हैं। अपने विश्व दौर‘ के दौरान वे हजारों लेगों को र‘डियो व टेलिविजन के द्वारा ध्यान की कार्य शालएं व आध्यात्रिमक संदेश देते हैं। उन्होने अध्यात्म के विभिन्ना विषयों पर बहुत सी पुस्तकें भी लिखीं हैं, जिन्हें अनेक भाषाओं में अनुवादित किया गया है। जिनमें ध्यान द्वारा अंतरीय व बाह्न शांति व आत्म शकिंत प्रमुख हैं। संत राजिन्दर सिंह जी महाराज को मानव.एकता व विश्व.शांति के प्रयास हेतु विश्व के अनेक प्रमुख धार्मिक रहनुमाओं व राजय अध्यक्षो द्वारा सम्मानित किया गया है। वे अमेरिका, यूरोप व भारत में समय.समय पर अनेक प्रकार के आध्यात्रिमक सम्मेलनों का भी आयोजनकरते हैं, जिसमें हजरों की संख्या में लेग भाग लेते हैं और अपना ध्यान मानव एकता व धार्मिक सद्वभावना की ओर करते हैं। उनके अनुसार यदि हमने शांति को पान है तो उसका सबसे मुख्य उपया है प्रार्थना व ध्यान। संत राजिन्दर सिंह जी महाराज अध्यात्म के विभिन्ना पहलुओं को ब.डे ही साफ व स्पष्टृ रूप में पेश करते हैं।
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